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Showing posts from May, 2010

बेजुबान कि जुबानी

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मेरी नयी कोमिक्स - पानी बचाने , पानी का सही उपयोग करने एवं पक्षियों को पानी उपलब्ध कराने पर बनायी है.  सच कहू मुझे नहीं लगता मैंने पहली बार से कोई तरक्की की है पर में खुश हूँ कि आखिर मैंने कोमिक्स बनाने कि कला सीख  कर उसे कचरे में नहीं डाल दिया बल्कि उसका उपयोग किया और उसे जारी रखा... और  कोई भी कला धीरे धीरे ही मंज कर निखरती है... तो मैं आशाओं से भरपूर हूँ... और एक और  खुशखबर यह है कि जल्द ही में अपने शहर में कोमिक्स कि वर्कशॉप आयोजित करने जा रही हूँ.. बड़ो के आशीर्वाद ओर हमउम्र दोस्तों कि शुभकामनाये  एवं साथ चाहिए ... - ओजसी  

अँधेरा और रौशनी

 तुम इंग्लिश लिटरेचर पढ़ रही हो न ---हाँ ! --- एक बात बताओ --- पूछो ! --- शेक्सपियर इतना महान कैसे बना? --- उसका जीवन मुश्किलों से भरा था पर उसने ज़िन्दगी के अँधेरे से लड़ कर रौशनी को पा लिया था यही कारण है कि उसके नाटक हमें घोर अँधेरे कि गुफा का दर्शन कराते हुए रौशनी का रास्ता दिखा देते हैं--- हम्म! ... तो क्या हार्डी को एक असफल और निचे दर्जे का साहित्यकार मानना चाहिए?--- नहीं! मुझे नहीं लगता कि वह असफल है या किसी भी दृष्टि से शेक्सपियर से निचे दर्जे का साहित्यकार है--- और वह कैसे? ---- उसके उपन्यास के पात्र अँधेरे के तल को छू जाते हैं हालांकि वे रौशनी तक नहीं पहुचते पर वे पूरी कोशिश करते हैं उस रौशनी को पाने कि... इसी बुरी हार में उनकी जीत है ... और  इसी कोशिश में वे अपने भीतर कि किसी रौशनी से मिल पाते हैं --- हम्म! --- आइ होप तुम मुझे समझ रहे हो--- हाँ! में पूरी कोशिश कर रहा हूँ--- (जोर से हँसते हुए) हम्म... मेरी नज़र में हमेशा कोशिश करते रहना ही सफल और सच्चा होना है --- (मुस्कुराते हुए) हम्म! में समझ गया.

योगी और भोगी

सहर और साशा कि आत्माएँ शायद एक दूसरे कि प्रतिबिम्ब थी . दोनों ही स्वच्छंद रूप से इस प्रथ्वी  पर भ्रमण करना चाहते थे. दोनों ने एक ही बिंदु से अपनी यात्रा कि शुरुआत कि थी. बिना शादी किये वे अकेले अलग अलग घूमते रहे. सहर के कई सम्बन्ध बने ... पर वह एक जगह कभी नहीं टिका ... एक जगह से दूसरी जगह घूमता रहा , सच कि तलाश में... धीरे धीरे लोग उसे योगी बुलाने लगे... उसका सम्मान करते .. उसे आसानी से अपना लेते... योगी का संसार भर में नाम हो गया... साशा भी उसी सच कि तलाश में भटकती रही... उसके भी कई संभंध बने ... वह भी एक जगह नहीं टिक पायी .. भटकती रही ... धीरे धीरे लोगो को उस पर संदेह होने लगा... उसका सम्मान घटता गया .. लोग उससे कटते गए.... लोग अब उसे भोगी बुलाने लगे... अब भी सहर ओर साशा में ज्यादा फर्क नहीं था ... वे एक ही आत्मा के दो प्रतिबिम्ब थे... एक योगी दूसरा भोगी....!!!

ग्रासरूट कोमिक्स

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यह ग्रासरूट कोमिक्स है. हाल ही में जयपुर में जवाहर कला केंद्र में प्रवाह एनजीओ और कई संस्थाओं के तत्वाधान में आयोजित एक कार्यशाला में मैंने ग्रासरूट कोमिक्स बनाना सिखा था. यह कोमिक्स उसी कार्यशाला में बनायी थी. मेरी पहली कोमिक्स है यह आशा करती हूँ आगे इससे भी कुछ अच्छा कर पाउंगी. :) 

मन पतंगा

मन पतंगा जल रहा में हो रही धुआ धुआ ... इस जलने में भी क्या नशा सा  है ... मन पतंगा जब  से  हुआ जी रहा तेरी रौशनी के दम पे इस तरह जीने में भी एक मज़ा सा  है... मेरे पागल मन पर लोग  हँसे इसकी फितरत पे ताने कसे में हंसी खूब  हंसी ओर कहती रही मन तो मेरा पतंगा सा है... मन तो मेरा.... मन पतंगा जल रहा दूर जब से तुझसे हुआ... तेरे होने में तो जलन , न होने में भी पीड़ा है ... कमबख्त ये पतंगा भी तो एक कीड़ा है... जलने देना इस पतंगे को बुझना न लौ तू.. तेरी रौशनी के दम से जी रहा माना मर रहा है हर घडी .. पर इस मरने में भी मज़ा सा है... इस तरह  जीना स्वर्ग सा  है..

उज्जवल ...

वो लोग सही कहते थे केवल प्यार से पेट नहीं भरता... ओफ्फो ! ये कमबख्त ऑटो वाले रुकते तक नहीं ... गर्मी तो ऐसे बढ़ रही है लगता है सच में दुनिया ख़तम होने वाली है- हो जाये मेरी बाला से तो अच्छा है ये रोज़ रोज़ की आफत छूटेगी. .... "भैया ये लोकी क्या भाव है?" "दीदी क्या आप भी रोज़ रोज़ पूछते हो ..." "अच्छा चल आधा किलो दे दे ओर पाव भर टमाटर  ओर प्याज   भी बाँध देना  " .... आज  तो फिर भी शान्ति है कल से ही मनु तनु की छुटियाँ शुरू होंगी जिद पर लग जायेंगे दोनों - कश्मीर ले चलो , हमें कश्मीर जाना है.. अरे मज़ाक है क्या कश्मीर जाना.. कितना खर्चा होता है उन्हें क्या पता.. ओह ! कश्मीर...सच कितना सुंदर लगता होगा..ओर कबसे मेरा ख्वाब था कश्मीर की खूबसूरती को देखने का.. मैंने तो हनीमून के लिए भी वही जगह सोची थी पर उज्जवल ने हनीमून ही केंसल करा के अपाहिज बच्चो  के स्कूल में दान कर दिए रुपये. .... "ऑटो --- भैया कोयले वाली गली ले चलोगे?... क्या? ३० में ? अभी तो में २५ में आई हूँ  ... अच्छा चलो ...  " जाने किस महान ने इसे कोयले वाली गली का नाम दिया था... शायाद पहले को