सपने
दूर पहाड़ी से उगता हुआ सूरज
खिलती धूप
और उसकी चमक से
रौशन होता वो लकडियो वाला घर
आस-पास हरियाली
और नीचे बहती हुई वो सुरीली नदी...
सपने कितने रंगीन होते हैं न ,
और शायद अंधे भी
जिन्हें बीच में फैलती खाई नहीं दिखती
पीले झड़ते पत्ते
और सूखती नदी नहीं दिखती...
खिलती धूप
और उसकी चमक से
रौशन होता वो लकडियो वाला घर
आस-पास हरियाली
और नीचे बहती हुई वो सुरीली नदी...
सपने कितने रंगीन होते हैं न ,
और शायद अंधे भी
जिन्हें बीच में फैलती खाई नहीं दिखती
पीले झड़ते पत्ते
और सूखती नदी नहीं दिखती...
वाह!
ReplyDeleteक्या खूब शब्द-चित्र बनाया है...
और बाद में.....
ऐसा क्यों भला.....??? सुखी नदी महसूस कर आँखे नम होती सी महसूस हुई!
कुंवर जी,
सपने कितने अंधे होते हैं ना ...
ReplyDeleteसपने तो सपने ही होते हैं ना !