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सिल लिए हैं मैंने होंठ अपने अब

मेरे शब्दों को तुम पसंद नहीं, और तुम्हे मेरे शब्द. सिल लिए हैं मैंने  होंठ अपने अब.  चुप रहते रहते सारे,  कहीं खो गए हैं शब्द, सिल लिए हैं मैंने होंठ अपने अब. दीवारे ताकती हैं मुझे , तकिये पर टपकते हैं शब्द, सिल लिए हैं मैंने होंठ अपने अब.