समंदर और एक परछाई
वो पगली लड़की थी न - हाँ वही! अब नहीं रही !!! बस पगली नहीं रही --- मैं उसे ढूंढ़ रही हूँ, ढूंढ़ रही हूँ उसे , उस पगली लड़की को वो जो ... पता नहीं... शायद खो गयी है जो कहीं कभी मिल जाये खुद को खुद से दूर भी कहाँ कोई समंदर होता है... --- एक परछाई रात में नींदों को करती है तंग पानी और बहुत गहरा पानी एक आकृति जो बहुत दूर पानी के बीचों बीच मेरी ओर हाथ हिला रही है एक परछाई फिर से फिर से मुझे अपने पास बुला रही है ---