वो कभी कभी मुझे कॉल करती थी, सुनाने के लिए अपनी खामोशी, ऐसा नहीं है की वह कुछ नहीं कहती थी, बल्कि बहुत कुछ कह जाती थी बिना शब्दों के भी , काल करती थी की रो सके अपना दिल हल्का कर सके, सोच सके की में उसके करीब ही हूँ, और वह सच में रोती थी, मुझे बिना बताये, फ़ोन को कहीं , अपने आँचल में छिपाए, फिर कहती थी बस इतना ही - "अपना ख्याल रखना" और झट से फ़ोन रख देती । में पूछ भी नहीं पाटा था - "तुम ठीक तो हो न"