सुनो ज़रा करीब आओ अपनी आँखें मुझे दिखाओ इन साधारण सी दिखने वाली आँखों से तुम्हें ये दुनिया जादूभरी कैसे दिखती है, बताओ हां! तुम्हारे सीने पर हाथ रख तुम्हारी धड़कनों को महस...
Posts
Showing posts from December, 2018
बाबा
- Get link
- X
- Other Apps
बाबा न जाने कितनी तरह की मशीनों से घिरे हुए थे। कई नलियां उनके शरीर में घुसी हुईं थीं - लगता था मानो आज वे पतली-छोटी नालियां इंसान से बड़ी हो गयी हैं. ...वह बाहर खड़ा है। अस्पताल के इस भारी वातावरण में उसे नींद नहीं आती। उसकी बड़ी माँ बाहर हाल में फर्श पर लेटी है और नाना जिसे वह बाबा कहता है अंदर रूम में लेटे हैं। वह बाहर कॉरिडोर में घूमता है पर यहां बहुत भीड़ है हर मरीज के रिश्तेदार जहाँ-तहाँ पसरे हुए हैं। समय और मौसम से बेखबर, सफ़ेद ट्यूबलाइट की धुंधली रौशनी में हर कोई एक-जैसा ही दिख रहा है. - सबके चेहरे पर एक ही भाव है पीड़ा का। कभी - कभी वह सोचने लगता है कि ज्यादा पीड़ा किसे हो रही है मरीजों को , जो अंदर कई नालियों और मशीनों के चंगुल में फंसे हैं या इन मरीजों के रिश्तेदारों को। रिश्तेदारों के चेहरे की पीड़ा देखना जब असहनीय हो जाता है तब वह बाबा के पास चला जाता है। वे अक्सर आँख बंद करके शांत लेटे होते हैं। उनका चेहरा हालांकि सूख गया था पर फिर भी उस सूखे कमल-समान चेहरे पर एक तेज़ दिखाई पड़ता था बिलकुल वैसा जैसा उसने भगवानों की तस्वीरों में उनके चेहरे पर देखा है। दस दिन ह...