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मैं जानती हूँ

मेरे सपनों को पूरा करने के लिए तुम मीलों तक दौड़  जाते  हो मैं जानती हूँ कभी कभी तुम बहुत अकेले पड़ जाते हो दुनिया से लड़ने की खूब ताक़त है  तुममें पर हार तुम सिर्फ अपनों से जाते हो मेरे सपनों को  … हाँ ! बहुत चाहते हो मुझे कितने कष्ट , मेरे लिए उठाते हो मैं जानती हूँ कभी कभी तुम बहुत अकेले पड़ जाते हो

शोध - समस्या

काफी समय से शोध के लिए विषय तलाश रही हूँ।  मन में कई प्रश्न घूम रहे हैं - 1   विषय चुनने का सबसे सही तरीका क्या है। 2   किस तरह के विषय का चुनाव करना चाहिए जिससे स्वयं की ज्ञानपिपासा भी शांत हो और समाज को भी कुछ नया दे सकें। और अंत में सबसे महत्वपूर्ण 3    मेरी रूचि किस विषय, विधा और  क्षेत्र में है। मेरे पास शायद पहले और तीसरे प्रश्न का ही उत्तर है।  तीसरे से शुरू करते हैं। 3   मेरी रूचि स्त्री से जुड़े मुद्दों और सवालों में है। एक स्त्री क्या चाहती है ? समाज में उसकी क्या स्थिति है ? स्त्री अपनी चेतना के विकास क्रम में कहाँ तक पहुंच पायी है? 1   जहां तक मेरी समझ है , विषय चुनने का सबसे उम्दा तरीका है पहले स्वयं के स्तर पर  , स्वयं की रूचि के अनुसार विषय का अध्ययन करना। विषय के संबंध में अपनी समझ विकसित करना फिर उसमे से एक समस्या चुनना ।  विषय चुनाव के दौरान मैंने नासिरा शर्मा , दीप्ति कुलश्रेष्ठ , ममता कालिया , पदमा  सचदेव और प्रभा खेतान को पढ़ा और मुझे लगता है मुझे सबसे अधिक नासिरा शर्मा और प्रभा खेतान ने आकर्षित किया।  नासिरा शर्मा पर पहले ही बहुत कार्य हो चूका है। प्रभ