शोध - समस्या

काफी समय से शोध के लिए विषय तलाश रही हूँ।  मन में कई प्रश्न घूम रहे हैं -

1   विषय चुनने का सबसे सही तरीका क्या है।
2   किस तरह के विषय का चुनाव करना चाहिए जिससे स्वयं की ज्ञानपिपासा भी शांत हो और समाज को भी कुछ नया दे सकें।
और अंत में सबसे महत्वपूर्ण
3    मेरी रूचि किस विषय, विधा और  क्षेत्र में है।

मेरे पास शायद पहले और तीसरे प्रश्न का ही उत्तर है।  तीसरे से शुरू करते हैं।

3   मेरी रूचि स्त्री से जुड़े मुद्दों और सवालों में है। एक स्त्री क्या चाहती है ? समाज में उसकी क्या स्थिति है ? स्त्री अपनी चेतना के विकास क्रम में कहाँ तक पहुंच पायी है?

1   जहां तक मेरी समझ है , विषय चुनने का सबसे उम्दा तरीका है पहले स्वयं के स्तर पर  , स्वयं की रूचि के अनुसार विषय का अध्ययन करना। विषय के संबंध में अपनी समझ विकसित करना फिर उसमे से एक समस्या चुनना । 

विषय चुनाव के दौरान मैंने नासिरा शर्मा , दीप्ति कुलश्रेष्ठ , ममता कालिया , पदमा  सचदेव और प्रभा खेतान को पढ़ा और मुझे लगता है मुझे सबसे अधिक नासिरा शर्मा और प्रभा खेतान ने आकर्षित किया।  नासिरा शर्मा पर पहले ही बहुत कार्य हो चूका है। प्रभा खेतान का एक उप[न्यास पढ़ने के बाद लगता है मैं उन्हें और पढ़ना चाहती हूँ।  कलकत्ता के मारवाड़ी समाज परकलम चलाने वाली प्रभा ने स्त्री मन के कई भेद खोले हैं और संबंधों की गहराई में जाकर उन्हें समझने का प्रयास  है।

लेकिन अभी भी कुछ निश्चय नहीं कर पा  रही शायद प्रभा खेतान के कुछ अन्य उपन्यास पढ़ने चाहिए।

शोध - कार्य जब तक जारी रहेगा अपनी समस्याएँ साझा करती रहूँगी।  आशा है उचित सुझाव भी मिलते रहेंगे , जिनकी मुझे बेहद जरूरत है।  

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