उपन्यास संसार

कल ही एक उपन्यास ख़त्म किया है।  ये मेरा सौभाग्य रहा है की पी एच डी के बहाने मैंने कोर्स वर्क के दौरान बहुत से उपन्यास पढ़ लिए।   सबसे पहले मैं उन सभी किताबों का ज़िक्र करुँगी जो  मैंने पढ़ी और मुझे   पसंद आयी।

उपन्यास - 

धुंध और धुँआ (दीप्ति कुलश्रेष्ठ )

सफर के बीच (दीप्ति कुलश्रेष्ठ )

भटको नहीं धनञ्जय (पद्मा  सचदेव )

धर्मक्षेत्रे  dharmshetre kurukshetre

अँधेरे का ताला (ममता कालिया )

शाल्मली  (नासिरा शर्मा)

छिन्मस्तता (प्रभा खेतान)


इन किताबों को पढ़ने के दौरान ब्लॉग लिखना संभव नहीं हो पाया इसीलिए कागज़ पर ही सभी उपन्यासों से सम्बंधित अपनी भावनायें लिख ली।  शायद यह मैंने अच्छा भी किया।  इन सभी में से मेरे प्रिय उपन्यास हैं - भटको नहीं धनञ्जय और शाल्मली। 

शायद  फिर किसी दिन इनके बारे में कुछ कहूँ।  हालांकि की आशा है की शाल्मली पर लिखा गया मेरा रिसर्च पेपर जल्द ही किसी मेगज़ीन में छपे।  


Comments

  1. स्वागत है और बधाईयाँ भी!

    ReplyDelete
  2. Bhatko nahin dha nan Jay and dharam shetre I wish to read.

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

मृत्युंजय - एक चरित्र, अनंत कहानी

गदल - रांगेय राघव

पुनर्नवा - हजारी प्रसाद द्विवेदी