शादी के बाद


तुमने काट दिए दो पैर
और कहा,
"ऐसे गिर-गिर कर क्या चलोगी
छोड़ दो। ..
घर बैठे रहो। ... "
तुमने रख लिए गिरवी दो हाथ
और कहा,
" क्या करोगी बिना  हाथ के
जाने दो....
घर बैठे रहो। ... "
तुमने खींच ली जबान
और समझाया,
"कौन सुनेगा अब तुम्हारी
मेरे सिवा...
 घर बैठे रहो। ... "
फिर तुमने ब्रेनलेस साबित कर
ऐलान कर दिया
"कुछ करने योग्य नहीं हो
भूल जाओ। ...
घर बैठे रहो। ... "

एक गोल्डमेडलिस्ट को
बड़े आहिस्ते-से
ड्राइंगरूम की चमक-धमक में
कांच के शो-केस में बंद कर
तुम बड़ी तहज़ीब-से
मेहमानों से कहते हो,
"हम अपनी बेटी को बहुत पढ़ाएंगे,
वेस्ट नहीं होने देंगे इसका टेलेंट घर-में । "
और मैं तुम्हारी बातों पर
न हंस पाती हूँ
न रो पाती हूँ।     

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