तपस्या
मौन बन कर
एक अमृत बूंद
मेरी रगों में दौड़ रही है...
और भीतर सब दिशाएं
गूंज रही हैं
जन्मों जन्मों की तपस्या
का इंच भर भी
अगर जीवन के कंटीले रास्तों में
मैंने खो दिया है
तो हे मेरे हिमालय!
मुझे पता है कि
अनंत तपस्या के लिए
मुझे एक बार
हमेशा के लिए
तुमसे कहाँ मिलना है.
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