गदल - रांगेय राघव
गदल कहानी पढ़ी। रांगेय राघव की कहानी। एक ऐसे चरित्र की कहानी जिसका चरित्र चित्रण उतना ही मुश्किल है, जितना खुद का। उसे, जैसी वो है, वैसे देखने पर लगता है मानो, खुद ही को किसी और की नज़रों से देख रहे हों। इसीलिए, उसे जैसी वो है, वैसे देखना मुश्किल है , बेहद मुश्किल।
45 वर्ष की गदल , पति के मर जाने पर अपना पूरा कुनबा छोड़ , 32 साल के मौनी की घर जा बैठती है। मन में है , देवर को नीचा दिखाना है। वही देवर जिसमें इतना गुर्दा नहीं की , भाई के चले जाने के बाद भाभी को अपना ले ... जिसके नाम की रोटी तोड़ता है उसे दुनिया के सामने अपना लेने में भला क्या बुराई ... लेकिन देवर दौढी ढीठ है , डरपोक है , लोग क्या कहेंगे यही सोच सोच कर मरता रहता है। गदल औरत है लेकिन किसी की फ़िक्र नहीं करती। वही करती है जो अपने दिल में जानती है की सही है। वही करती है जो उसे करना होता है।
औरत क्या चाहती है , तुम यही पूछते हो न। गर औरत तुम्हे अपना मानती है , तो चाहती है की तुम हक़ जताओ , फिर चाहे दो थप्पड़ ही मार कर क्यूँ न जताना पड़े। मौनी गुस्से में पूछता है , "मेरे रहते तू पराये मर्द के घर जा बैठेगी ?" गदल बोलती है, हाँ। वो उसे मारने के लिए आगे बढ़ता है , गदल बोलती है , बढ़। मौनी हठात रुक जाता है , पीछे चला जाता है। गदल निराश होती है। वो मौनी को धिक्कारती है , कहती है , तू मरद है ? "अरे कोई बैय्यर से घिघियाता है। बढ़कर जो तू मुझे मारता , तो मैं समझती , तू अपनापा मानता है।"
आज कल औरत के प्यार की भूख नहीं मिटती, शायद सदियों के संस्कार हैं उसके भीतर , जो मर्द के प्यार को उसकी मार से अलग नहीं देख पाते। मार है तो प्यार हो जरुरी नहीं , लेकिन प्यार है तो मार भी होगी। औरत के अंदर छिपी औरत मर्द चाहती है, जो उससे दबे न, उसे दबा कर रखे। और उसके प्यार की पहचान भी यही है , वह उसी से ,दबेगी जिसे वो चाहती है।
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(to be continued)
चूँकि गदल को को कितने भी शब्दों में बाँधने की कोशिश करो, कम ही पड़ेगी।
Bahut khoob
ReplyDeletewill make you read this story when you come here :)
DeleteWhere is the next part
ReplyDeleteI think I couldn't write it. 😊
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