क्या तुम्हे नहीं लगता
बढ़ता ही जा रहा है ये प्रेम दरिया
या कि जैसे
बसंत अब मुस्कुरा रही हो शीत में भी ?
*****
क्यों मैं देखने लग गयी हूँ बताओ
*****
क्यों मैं देखने लग गयी हूँ बताओ
तुम्हारी ही सूरत में
मेरे अजन्मे बेटे कि मासूमियत?
*****
क्यूँ मैं देखने लगी हूँ तुममे अजन्मे बेटे की मासूमियत ...
ReplyDeleteवाह !
दूसरा वाला तो बेहद अच्छा था..
ReplyDeleteयूँ ही लिखतीं रहिये...