इल्ज़ाम

इल्ज़ाम 

"तू गन्दी है, गन्दी है, बहुत गन्दी है। " बड़ी चिल्ला रही थी।
"मैं ? मैंने क्या किया ? " छोटी ने सहम कर पुछा।
"तूने मुझे धोखा दिया है धोखा। "बड़ी ने गुस्से में तमतमा कर कहा।
छोटी ने आश्चर्य में पुछा , "कैसा धोखा ?"
"तूने मेरी बात अपनी सहेली को बता दी।  "
"पर  .... इसमें धोखे वाली क्या बात है वो बात तो  … "
"मेरी बात क्यों बताई ? तुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।  "
 …
कुछ गलतियां बार बार हो जाती हैं और कुछ इल्ज़ाम ज़िन्दगी भर के लिए माथे पर छप जाते हैं।  छोटी के साथ ऐसा ही हुआ।  बड़ी ने एक न सुनी।  उसने बस इतना भर कहना चाहा था कि  - दुनिया  में कोई बात किसी से नहीं छिपती और  इतना ही था तो तुम मुझे भी नहीं बताती।  छिपाने का इतना आग्रह क्यों ? जो तुम हो उसे स्वीकार कर लो।  तुम स्वीकार क्यों नहीं करती ?

लेकिन बड़ी जा चुकी थी अपनी दुनिया में जहाँ हर सवाल हर जवाब से दूर वह अपनी ही सोच में सुरक्षित रह सके।

via: Google images

Comments

  1. Let people live their lives. Every person is responsible forces their own deeds. you have done no wrong. So live your life without any fear.

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    1. I wish, things were different, but now I can not help anyway.

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