इमरोज़
तुम्हारे बारे में सोचते हुए
मैं अक्सर उसी के बारे में सोचती रही हूँ
और यह भी
कि प्यार क्या ऐसा ही होता है...
मैं अक्सर उसी के बारे में सोचती रही हूँ
और यह भी
कि प्यार क्या ऐसा ही होता है...
कि सदियों तक
तुम्हारे नाम कोई जुदा न कर पाए
तुम्हारे नाम कोई जुदा न कर पाए
कि मरने के बाद भी
वो वहीं रहे, बिल्कुल वैसे ही
हमेशा की तरह
वो वहीं रहे, बिल्कुल वैसे ही
हमेशा की तरह
कि वो अनजाने ही तुम्हारी पीठ पर
किसी और का नाम लिख दे
और तुम फिर भी उससे बेपनाह मोहब्बत करो
क्यूंकि उसकी मोहब्बत भी उसकी है और तुम भी
किसी और का नाम लिख दे
और तुम फिर भी उससे बेपनाह मोहब्बत करो
क्यूंकि उसकी मोहब्बत भी उसकी है और तुम भी
कि तुम पेंटर से कवि बन जाओ
और वो कवि से एक औरत -
जो इश्क़ में मुकम्मल हो गयी है
और वो कवि से एक औरत -
जो इश्क़ में मुकम्मल हो गयी है
प्यार क्या ऐसा ही होता है
इमरोज़?
तुम्हारे बारे में सोचते हुए
फिर अक्सर
मैं उसके बारे में सोचने लगती हूँ.
इमरोज़?
तुम्हारे बारे में सोचते हुए
फिर अक्सर
मैं उसके बारे में सोचने लगती हूँ.

Beautifully writ
ReplyDeleteCongrats for featured post...
Thank you :)
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