गिरवी
रूह मेरी गिरवी रख लो तुम
और बदले में कुछ भी देना नहीं
ये तन तो मिट्टी की तिजोरी है और
मुझे संभालना ही कब आया
कीमती चीजों को कभी
और बदले में कुछ भी देना नहीं
ये तन तो मिट्टी की तिजोरी है और
मुझे संभालना ही कब आया
कीमती चीजों को कभी
मेरा तो सब कुछ लूट ही जाना है
लूट ही जाएगा
तमाम ख्वाहिशें, उमंग और जीने की चाह भी
एक दिन बिक जाएगी
लेकिन रूह बचेगी तुम्हारे पास और
कीमत उसकी बढ़ती ही जाएगी
लूट ही जाएगा
तमाम ख्वाहिशें, उमंग और जीने की चाह भी
एक दिन बिक जाएगी
लेकिन रूह बचेगी तुम्हारे पास और
कीमत उसकी बढ़ती ही जाएगी
रूह मेरी गिरवी रख लो तुम
और बदले में कुछ भी देना नहीं
और बदले में कुछ भी देना नहीं

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