mehndi wali baat ...
कुछ दिन पहले
मेहँदी लगायी
बड़े डर के साथ.
सुना था -
"जिसे मेहँदी नहीं रचती
उसे प्यार नहीं मिलता"
में जानती थी
मुझे मेहँदी नहीं रचती है ...
रोज़ देखती हूँ
धीरे धीरे
मेहँदी उतर रही है...
हाथ घिस रहे हैं...
कुछ धब्बे से बनते जा रहे हैं
उँगलियों पर
कुछ दिनों में मेहँदी
पूरी मिट जाएगी
कोई निशाँ नहीं रह जायेगा
न ही कोई डर
फिर जी भर के दिल को बेहलाउंगी
देखूंगी अपने हाथ की ओर
खुद को समझाउंगी
की तुम हो न मेरे लिए
मुझे प्यार करने के लिए....
मेरा साथ देने के लिए...
हो न तुम ???
तुम हो न! ये कहने के लिए
की ये मेहँदी वाली बात एक झूठ है...

बड़े डर के साथ.
सुना था -
"जिसे मेहँदी नहीं रचती
उसे प्यार नहीं मिलता"
में जानती थी
मुझे मेहँदी नहीं रचती है ...
रोज़ देखती हूँ
धीरे धीरे
मेहँदी उतर रही है...
हाथ घिस रहे हैं...
कुछ धब्बे से बनते जा रहे हैं
उँगलियों पर
कुछ दिनों में मेहँदी
पूरी मिट जाएगी
कोई निशाँ नहीं रह जायेगा
न ही कोई डर
फिर जी भर के दिल को बेहलाउंगी
देखूंगी अपने हाथ की ओर
खुद को समझाउंगी
की तुम हो न मेरे लिए
मुझे प्यार करने के लिए....
मेरा साथ देने के लिए...
हो न तुम ???
तुम हो न! ये कहने के लिए
की ये मेहँदी वाली बात एक झूठ है...
बहुत खूब ......महेंदी और भावों को बड़ी सरलता से पेश किया है .
ReplyDeleteThank u devesh ji :)
ReplyDeleteबहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......
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