अमृता प्रीतम : एक मर्द , एक औरत

"तुमने पिक्चर ऑफ़ डोरियन ग्रे पढ़ी है?" मर्द ने पुछा? 
" पिक्चर ऑफ़ डोरियन ग्रे  "? 
"ओस्कर वाइल्ड का मशहूर उपन्यास. "
"मेरा ख्याल है, कोलेज के दिनों में पढ़ी थी, पर इस वक्त याद नहीं...शायद उसमे पेंटिंग की कोई बात थी.."
"हाँ... पेंटिंग की. वह एक बड़े हसीं आदमी की पेंटिंग थी..."
"फिर शायद वह आदमी हसीं नहीं रहा था और उसके सात ही उसकी पेंटिंग बदल गयी थी .. कुछ ऐसी ही बात थी... "
"नहीं, वह उसकी दिखती शक्ल के साथ नहीं  बदली थी, उसके मन की हालत से बदली थी. रोज़ बदलती थी."
"अब मुझे याद आ गया है. आदमी उसी तरह हसीं रहा था पर पेंटिंग के मुह पर झुर्रियां पढ़ गयी थी..."

....

(अमृता प्रीतम : एक मर्द , एक औरत से उद्धरण ) 

 पिछले दिनों में पढ़ी हुई हिंदी कहानियों में से समबसे उम्दा कहानी!!!

Comments

  1. बहुत ही गहरी बात,
    सच में उम्दा...

    कुँवर जी,

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