परीक्षित

"तुम्हे पता है तुम बहुत खुदगर्ज़ हो "
" हाँ मुझे पता है. … आई लव यू  परीक्षित "
" फिर भी मुझे छोड़ कर जा रही हो। "
" ज़रूरी है  … क्यूंकि   … "
"मुझसे ज्यादा प्यार तुम खुद से करती हो "
"शायद  … लेकिन मैं कैसे बताऊँ तुम्हे की इस शहर में मेरा दम घुटता है। । इन लोगों के बीच  … इस भीड़ में  … मेरे सपने अलग हैं  … हम कभी साथ रह ही नहीं सकते परीक्षित " , इससे पहले परीक्षित श्रुति को रोक पाता , श्रुति आठ साल के रिश्ते को पीछे छोड़ कर चली गयी।

पचास - पचास माले की ऊँची इमारतों के पीछे सूरज होले - से गुम  हो गया।  परीक्षित अंधेरों को नापते हुए बालकनी में आ कर खड़ा हो गया. उसके एक हाथ में से सफ़ेद कागज़ हवा में उड़ गए  … वो सिर्फ कागज़ नहीं थे श्रुति के सपनों का स्केच था - एनजीओ की बिल्डिंग का स्केच  … परीक्षित की आँखों में न आंसू थे , न हाथ में शराब  … उसके दिल में बस एक गहरा चुभने वाला अफ़सोस था कि वो श्रुति को वक़्त पर  ये विश्वास नहीं दिला सका कि वो भी उसके सपनों का हिस्सेदार है।

Comments

  1. would love to know more about 8 saal ka rishta, superb piece

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    1. Thank you.. Aath saal ka rishta mahaj kahaani ka ek hissa hai koi hakikat Nahi

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