कहानी के चरित्र


आज-कल कहानियाँ पढ़ने का चस्का-सा लग गया है , अक्सर रात को सोने से पहले हिंदी समय या अभिव्यक्ति ब्लॉग पर एक कहानी पढ़ कर ही सोती हूँ।  यूँ तो हम कई कहानियाँ पढ़ते हैं , पर चरित्र प्रधान आधुनिक कहानियाँ कभी-कभी दिल को इतना छू  लेती हैं की लगता है ये कुछ जाना-पहचाना-सा है। 

हाल ही में पढ़ी कुछ मन पसंद कहानियाँ हैं - रोज़ (अज्ञेय) , ठेस (फणीश्वरनाथ रेनू ) , मिस पॉल (मोहन राकेश)

कल मिस पॉल पढ़ी तो ऐसा लगा कि कभी कभी कहानी के भीतर का संसार कितना यथार्थ लगता है , मानो  आप कहानी के भीतर ही हों, किसी अदृश्य पात्र की तरह।  मेरे खयाल में हिंदी साहित्य को वर्तमान रूप देने वाली चुनिंदा कृतियाँ एवम रचनाएँ तो सभी साहित्य-प्रेमियों को पढ़नी  चाहिए।  ऐसा करते समय आप कविता का भी उतना ही आनंद लेंगे जितना की कहानी या उपन्यास का।  इस दृष्टि से, मैं कहूँगी की आप निराला की "राम की शक्तिपूजा" भी अवश्य पढ़िए।  

अगली कहानी की खासियत साझा करने फिर मिलूंगी , तब तक के लिए  ... होली की ढेरों शुभकामनाएँ।  :)

Comments

Popular posts from this blog

मृत्युंजय - एक चरित्र, अनंत कहानी

गदल - रांगेय राघव

पुनर्नवा - हजारी प्रसाद द्विवेदी