कुछ पंक्तियाँ ....

अब उसे समझाने की कोशिश नहीं करती ,
खुद को समझा लेती हूँ,
आज कल में सभी आरोप सह लेती हूँ
पहले भी सह लेती थी पर आंसुओ के साथ
आज कल तो ज़हर भी मुस्कुरा के पी लेती हूँ

अब उसे समझाने की कोशिश नहीं करती
खुद को समझा लेती हूँ .....

Comments

  1. ज़िंदगी जीने का सबक आख़िरकार सीख लिया आपने. बधाई।

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