रात गहरा रही है....
रात गहरा रही है ...
दिल डूब रहा है फिर से,
आज इस गहराई में ।
आओ फिर से मोती तलाशें
मिलकर करें उस तारे से बातें
आज न कहना जल्दी जाना होगा
मिलन की कई रस्मे हैं बाकी।
रात गहरा रही है...
दिल डूब रहा है फिर से,
आज इस गहराई में।
वो चांदी की थाली सा दिखा
आज चाँद भी रूठा मुझसे रुसवा हुआ
तुम न रूठना बस गले लग जाना
रात अँधेरी अभी और है बाकी।
धुन संगीत और ताल की कमी है... मुझे मालुम है कविता थोड़ी कमज़ोर है...पर दिल की गहरायी से बनी है ... !!! ज़्यादा ख़ास तो नही पर मेरे दिल के बहुत पास है... :)
दिल डूब रहा है फिर से,
आज इस गहराई में ।
आओ फिर से मोती तलाशें
मिलकर करें उस तारे से बातें
आज न कहना जल्दी जाना होगा
मिलन की कई रस्मे हैं बाकी।
रात गहरा रही है...
दिल डूब रहा है फिर से,
आज इस गहराई में।
वो चांदी की थाली सा दिखा
आज चाँद भी रूठा मुझसे रुसवा हुआ
तुम न रूठना बस गले लग जाना
रात अँधेरी अभी और है बाकी।
धुन संगीत और ताल की कमी है... मुझे मालुम है कविता थोड़ी कमज़ोर है...पर दिल की गहरायी से बनी है ... !!! ज़्यादा ख़ास तो नही पर मेरे दिल के बहुत पास है... :)
अद्भुत आमंत्रण. शृंगार रस कूट-कूट कर भरा है. धुन, संगीत और ताल की चिंता छोड़ें, कविता कमज़ोर भले हो, भाव भरपूर हैं.
ReplyDeleteआओ फिर से मोती तलाशें
ReplyDeleteमिलकर करें उस तारे से बातें
आज न कहना जल्दी जाना होगा
मिलन की कई रस्मे हैं बाकी।
Kamaal line lagi, bahut acche... Again you judged the poem wrong
wo chandi ki thali sa din bahut khub...
ReplyDeletesundar rachna..badhai likhti rahen..
thank you :)
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