उफ़!!... तुम भी न.

तुम जानते हो? तुम्हे कितना मिस किया ?
हाँ... आई नो ! तुम बोलोगे - मुझसे ज्यादा नहीं .
शायद ये सच भी हो... पर क्या फर्क पड़ता है ...
मिस करने के  अलावा भी बहुत कुछ किया ... यु   नो ... बहुत कुछ फील कर रही हु...
.......................................................
"क्या?"
अभी बताया तो...
"उफ़... तुम भी न..." और  मैं खिलखिलाकर हंस दी ...




*--------------*----------------*


उन्होंने पुछा  क्या किया इतने दिन? 
मैंने कहा - आप  मेरी ज़िन्दगी में नहीं रहोगे तब ये ज़िन्दगी कैसे होगी , यही देखा...
अच्छा तो कैसी होगी...?
पता नहीं... पर जब आप रहते हो वैसे तो नहीं होगी...
"उफ़... !!! तुम भी न..." और मैं खिलखिलाकर हंस दी ...


*--------------*---------------*


तुम सच में चाहती हो मैं किसी ओर से शादी कर लू?
...... हाँ .....
सच?
हाँ...
और तुम क्या करोगी उसके बाद?
मैं भी किसी से शादी कर लुंगी.
एक बात कहू? कभी कभी मुझे लगता है तुम मुझे उतना प्यार नहीं करती जितना मैं तुम्हे करता हु.
हम्म...
क्या ? हम्म....??
कुछ नहीं....
उफ़... तुम भी  न... !! और मैं खिलखिलाकर हंस दी...


*--------------*-------------*


हे! वहा क्या खड़ी हो ... आओ न... फिल्म का लास्ट सीन है ...
हम्म .......
मी......ई..ई..त ... आ..आ..अओ ना वहां क्या कर रही हो खिड़की पर खड़े होकर 
सनसेट ! .... तुम यहाँ आ जाओ..
....फिल्म ख़त्म हो गयी  ... लो मैं ही आ गया... तुमने  इस सनसेट के पीछे वो फिल्म छोड़ दी ... सनसेट तो रोज़ ही होता है ऐसा क्या है इसमें...
कुछ नहीं ... कुछ भी तो नहीं..
अच्छा ! किसी कि याद आ रही है क्या?
उफ़!!... तुम भी न... और हम दोनों खिलखिलाकर हंस दिए...
जब राजीव टीवी बंद करने गए सूरज कि आखिरी रौशनी मेरी आँखों के भीतर चुपके से आकर कहीं खो  गयी...

Comments

  1. ये क्या गजब लिख दी हैं आप?
    बहुत बढ़िया..

    ReplyDelete
  2. पीडी से सहमति... क्या बात है.. someone seems to be in a good nick! :-)

    ReplyDelete
  3. वाह बहुत अच्छी लघुकथा .

    ReplyDelete
  4. बेहतरीन पीस...

    ReplyDelete
  5. वाह !!!....बहुत बेहतरीन लिखा है .......लाजवाब

    ReplyDelete
  6. Thank you all of you :)
    and pankaj... tum mujhey milna phir baat karenge is baare me..

    ReplyDelete
  7. उफ़ ...तुम भी ना ...
    बहुत बढिया..!

    ReplyDelete
  8. एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
    आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !

    ReplyDelete
  9. shivam ji dhanyavaand... lekin meri post is layak nahi thi... maaf kijiyega .. mujhe.... is tarah charcha me aana pasand nahi... dar lagta hai ... bahut si cheezo ka...
    I hope I m nt sounding arrogant or a fool.

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

मृत्युंजय - एक चरित्र, अनंत कहानी

गदल - रांगेय राघव

पुनर्नवा - हजारी प्रसाद द्विवेदी