२.) अनुवाद

 
२.) 
अनुवाद  

तुम्हारे कदमो के निशाँ,
मेरे दोस्त !
मिटाए जा चुके हैं,
"किसके द्वारा?"
तुम्हे नहीं पता?
ओह बेचारा इंसान !
जिसे ये नहीं पता उसकी गलती क्या है,

रुको !
भागो मत!
भूल धुंध कि तरह हर कहीं फैली है ,
इसीलिए आखिरी फैसले से पहले,
इस धुंध को साफ़ होने दो.

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