वो एक आशिक था
वो अचानक से कहने लगा। रूहानी थोड़ा सुनती, थोड़ा समझने की कोशिश करती , उसकी वो अजीब बातें । वो कहता, तुम्हारी याद आती है। तुमसे जुडी हर चीज़ मुझे यहाँ - तहाँ दिखाई देने लगती है। वो तुम्हारा पसंदीदा शब्द "विश्वास" तो न जाने क्यों मेरे पीछे सा पड़ गया है। कहते हैं न, जिससे प्यार हो उससे जुडी हर चीज़ से प्यार हो जाता है। रुहानी को सुन कर अचम्भा - सा होता है। वो फिर भी कहता जाता , पागलों की तरह जैसे मानो जहाँ हो वहाँ आकाश में चिल्ला रहा हो , की आज मैं भरा-भरा सा हूँ, खुला-खुला सा हूँ , जी करता है ये सब प्यार लूटा दूँ किसी पर। रूहानी आँखे बंद कर के महसूस करना चाहती है। वो फिर अचानक से पूछता है , तुम्हे नहीं पता था ये? रूहानी धीरे से कहती है, "नहीं।" "सच ! नहीं पता था?" " नहीं ! बिल्कुल भी नहीं। " "मुझे लगता था तुम मुझे जानती हो। " रुहानीअपने मन से पूछती है , "क्या मैं उसे जानती हूँ ?" मन उसी की तरह भोला , भुला , भटका हुआ -सा कहता है , "मुझे तो इतना ही पता था, की वो एक आशिक था। " रूहानी खोयी - सी सोच में पड़ जाती है , सच क्या ! और जो मैंने अभी-अभी एक लौ-सी उसमे जो देखी है वो क्या है ?
Beautiful
ReplyDeletesach ? utni khoobsurat to nahi hai shayad...
Deleteसचमुच,रूहानी बहुत सुन्दर नाम है, पर उसका चिंतन, डर, उसके नापतौल तो नाम से भी ज्यादा खूबसूरत है।
ReplyDeleteये पल, हमेशा रूहानी के नज़रिये से याद रहेगा
:)
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