में चाँद हूँ


में चाँद हूँ !


रौशनी से नहाया हुआ,

अँधेरी गुफा में मिटने आया तिमिर का साया।


किसी ने मुझे देखा खूबसूरती के परदे में

तो किसी ने माना मुझे प्रेम रस का प्याला,

पर माधुर्य और सौन्दर्य से अलग,

आज एक रूप मैंने बनाया ।

ओजस्वी चाँद तब में कहलाया...


रौशनी से नहाया हुआ,

अँधेरी गुफा में मिटाने आया तिमिर का साया ।


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