Rishton ki uljhan - Rishton ki bikhran
धागों का एक गट्टा
उलझा पड़ा है
पलंग के नीचे कहीं
पहले छोटा था
धीरे धीरे
बड़ा हो गया है
मोटा हो गया है
पहले सुलझ सकता था शायद
अब कोई गुंजाईश नहीं
काटने पड़ेंगे कुछ धागे
एक - एक करके.
कई पत्ते बिखरे थे
कल रास्ते में
बचकर चलना चाहती थी
पत्तों को कुचलना
वो दर्द भरी चीख
अच्छी नहीं लगती.
पर बावजूद कोशिशों के,
दस-पंद्रह तो
मर ही गए ,
बिचारे! पहले से ही
अधमरे थे.
उलझा पड़ा है
पलंग के नीचे कहीं
पहले छोटा था
धीरे धीरे
बड़ा हो गया है
मोटा हो गया है
पहले सुलझ सकता था शायद
अब कोई गुंजाईश नहीं
काटने पड़ेंगे कुछ धागे
एक - एक करके.
कई पत्ते बिखरे थे
कल रास्ते में
बचकर चलना चाहती थी
पत्तों को कुचलना
वो दर्द भरी चीख
अच्छी नहीं लगती.
पर बावजूद कोशिशों के,
दस-पंद्रह तो
मर ही गए ,
बिचारे! पहले से ही
अधमरे थे.
क्यों समेट रखे थे ऐसे धागे,
ReplyDeleteजिन्हें गट्ठर की शक्ल देनी पड़ी
फिर भी झटक नहीं सके
ऐसा लगाव भी...
इसीलिए तो अब तक रखे हैं बिस्तर तले कहीं
काट ही दो वो तार, जो रोकते हैं उड़ान
चाहे बोझ हों...या गति-अवरोधक
----
पत्ते कुचलकर भी नष्ट नहीं होंगे
कराहेंगे, फिर दबकर खाद बन जाएंगे
उगेंगे फिर...
अधमरे हो गए हैं वो
क्योंकि हमें लगता है---उनकी ज़रूरत बाकी नहीं रही
---
बकवास बहुत हुई...अब प्रतिक्रिया
अच्छा लिखने लगी हैं आप! लगातार चिंतन का ग्राफ ऊपर ही ऊपर उठ रहा है. मुबारक़।
inhe bakwaas kahenge to meri kaviton ko kya kahenge.. ye to mahabakwaas hain :D
ReplyDeleteaapki pratikriya meri kavita se kahin jyada gehri hai :) isiliye mubarak aapko!
aha!!!
ReplyDeletebahut umdaa!!!
bahut khoob!
ReplyDeleteउलझने समेटे सुन्दर भाव है आपकी पंक्तियों में....
ReplyDeleteबहुत उम्दा ही नहीं, बहुत गहरा भी... धागों का गट्ठर की शक्ल में आ गये, लेकिन पैरों तले पत्तों के कुचले जाने का दर्द वाकई अफसोसनाक है.. शानदार लिखा है... बेहतरीन
ReplyDeleteaap sabhi ko encouragement ke liye bahut hi Dhanyavaad... :)
ReplyDeleteघूमते टहलते आपकी ब्लॉग पर आया भावनाएँ बहुत अच्छी है आपकी कविता की..निरंतरता बनाए रखों..शुभकामनाएँ
ReplyDeleteसौम्या जी क्षमा करें एक बात कहना चाहता हूँ जब आपके पास कमेंट का मॉडरेशन सुरक्षित है तो यह वर्ड वैरीफिकेसन हटा दीजिए इससे कभी कभी कमेंट देने वालों को बहुत समस्या हो जाती है...क्षमा करें यह एक सुझाव था बाकी आपकी इच्छा है...धन्यवाद!!
ReplyDeleteVinod ji achha hua aapne bata diya...meine bahut baar koshish ki ye hatane ki per ye phir aa jaata hai... ek baar fir koshish karti hoon... :)
ReplyDeleteaapke comments ke liye dhanyavaad.