सुनो!

रुखा सुखा जीवन
हुआ मरणासन्न मन.
सुनो! मुझे अपने शब्दों से एक बार फिर सींचो,
प्रेम का पानी ,
डांट की खाद,
और धुप का मार्गदर्शन दो ,
मुझे अपनी कल कल बहती हंसी से 
एक बार फिर सींचो.
सुनो! मुझे अपने शब्दों से एक बार फिर सींचो. 

Comments

Popular posts from this blog

मृत्युंजय - एक चरित्र, अनंत कहानी

गदल - रांगेय राघव

गोदान - एक विचार