सच्चा सुख और सृजन
जीवन के एक सूत्र को भी किसी माध्यम से जाहिर कर देने में कितना सुख है.
सच्चा सुख और सृजन दो अलग बातें हो ही नहीं सकती.
चाहे किसी कला के माध्यम से सृजन हो
या प्रेम में अभूतपूर्व क्षणों का सृजन हो
हमेशा सृजन में सच्चा सुख छिपा होता है.
सच्चा सुख और सृजन दो अलग बातें हो ही नहीं सकती.
चाहे किसी कला के माध्यम से सृजन हो
या प्रेम में अभूतपूर्व क्षणों का सृजन हो
हमेशा सृजन में सच्चा सुख छिपा होता है.
कितनी सुस्पष्ट,और गहन बात कितने कम शब्दों में प्रस्तुत कर दी...वाह...!
ReplyDeleteकुँवर जी,
Srijan ka sukh janne wale ya to Matrutva bhav se prerit hote hai ya fir rachaita bhav se.
ReplyDeleteThank you Kunwarji :)
ReplyDeleteNuktaa - :) ya fir dono se...
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