कुछ शब्द गुलज़ार जी के लिए

वैसे तो मेरा ज्यादा परिचय नही है गुलज़ार जी से पर एक बार गलती से मैंने उनकी ग़ज़ल व त्रिवेनियों की किताब पढ़ी और तभी से में उनकी कविता की कायल हो गई। फिर एक दिन पंकज ने उनके बारे में बताया साथ ही उनके ब्लॉग पर उन्होंने गुलज़ार जी की कुछ त्रिवेनियाँ भी लिखी जिन्हें पढ़कर बहत अच्छा लगा। http://pupadhyay.blogspot.com/2009/11/blog-post_09.हटमल
कल अचानक से दैनिक भास्कर में मेरी नज़र गुलज़ार जी की तस्वीर व उन पर लिखे लेख पर पढ़ी जो की जाने मने साहित्यकार खुशवंत सिंह जी ने लिखा था। वैसे तो मुझमें इतना धैर्य नही की में एक कोई लेख पुरा पढ़ सकूँ पर खुशवंत सिंह जी मेरे प्रिया स्तंभकार व लेखक हैं और फिर लेख भी गुलज़ार जी पर था तोह पढ़े बिना रहा न गया। उनका लेख पढ़ कर गुलज़ार जी के बारे में बहुत कुछ बातें जानने को मिली जिसमें सबसे दिलचस्प थी उनका असली नाम - सम्पुरण सिंह कालरा । और भी दिलचस्प बात थी की उनके ज़माने में खुबसूरत लड़कियां उनकी दीवानी थी। खुशवंत सिंह जी ने गुलज़ार के विषय में एक बहुत अच्छी बात कही की उनकी ज़िन्दगी में आई कई औरतो की शिकायत रही की वे एक अलग थलग से प्राणी हैं हमेशा एकांत की तलाश कर...