एक ग़ज़ल

मन में ये आज उलझन है क्यूँ
आज ख़ुद से ये अनबन है क्यूँ

पिंजरे में वह तड़पता रहा
मन पंछी आख़िर कैद है क्यूँ

द्वंद्व सा हर वक्त रहता हैं मन में
मन आख़िर इतना कमजोर है क्यूँ

Comments

  1. भाव खूबसूरत हैं...बहर में कहीं-कहीं कमी है, ये ठीक हो ही जाएगी. सबसे खास हैं--भाव, वो ममस्पर्शी हैं. उन्हें जीने की कोशिश जारी रखिए. दुआएं.

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