एक लघु कथा
दो सहेलियां
तीन साल ही हुए थे दोनों की दोस्ती को पर एक अजीब सा बंधन था दोनों के बीच । वो दो सहेलियां थी - खास सहेलियां। शायरी और रोली तीन साल से हॉस्टल में एक ही कमरे में साथ रह रही थी। कल उनकी हॉस्टल की ज़िन्दगी का आखरी दिन था और आज की रात उनके साथ की आखरी रात। एक्साम्स ख़तम हो चुके थे इसीलिए पढ़ाई की टेंशन नही थी। दोनो पुरी रात बैठकर बातें करना चाहते थे । गर्मी के दिन थे इसीलिए हॉस्टल की छत पर बिस्टर लेकर चले गए। थोड़ी देर तक बैठ कर वो हॉस्टल के पुराने रंगीन दिन याद करने लगे। दोनों उस चाँद को निहार रहे थे जो अपनी सम्पूर्णता में मदमस्त सबसे बेखबर था। और दोनों को किसी अधूरेपन का एहसास सा हुआ। शब्दों की जरुरत नही थी । रोली ने शायरी का हाथ खींच कर उसे अपने पास लेटा दिया। चाँद की रौशनी खलल पैदा कररही थी । चादर मुह पैर धक् कर दोनों ने आँखे मीच ली । शायरी ने रोली का हाथ पकड़ कर उसे दबाया ... शायद उसे डर लग रहा था ... रोली ने उसे धीरे से गले लगा लिया।
चाँद ढला नही पर सूरज ने उसे छिपा दिया था। रोली ने अपनी आँखे खोली तो ऊपर नीले आसमान पर उसे रात वाला तनहा बेसब्र चाँद दिख गया ... जो अब सूरज की रौशनी से सराबोर था । रोली के होठो पर एक मुस्कान थिरक गई। शायरी के माथे को उसने बेझिझक चूम लिया.
तीन साल ही हुए थे दोनों की दोस्ती को पर एक अजीब सा बंधन था दोनों के बीच । वो दो सहेलियां थी - खास सहेलियां। शायरी और रोली तीन साल से हॉस्टल में एक ही कमरे में साथ रह रही थी। कल उनकी हॉस्टल की ज़िन्दगी का आखरी दिन था और आज की रात उनके साथ की आखरी रात। एक्साम्स ख़तम हो चुके थे इसीलिए पढ़ाई की टेंशन नही थी। दोनो पुरी रात बैठकर बातें करना चाहते थे । गर्मी के दिन थे इसीलिए हॉस्टल की छत पर बिस्टर लेकर चले गए। थोड़ी देर तक बैठ कर वो हॉस्टल के पुराने रंगीन दिन याद करने लगे। दोनों उस चाँद को निहार रहे थे जो अपनी सम्पूर्णता में मदमस्त सबसे बेखबर था। और दोनों को किसी अधूरेपन का एहसास सा हुआ। शब्दों की जरुरत नही थी । रोली ने शायरी का हाथ खींच कर उसे अपने पास लेटा दिया। चाँद की रौशनी खलल पैदा कररही थी । चादर मुह पैर धक् कर दोनों ने आँखे मीच ली । शायरी ने रोली का हाथ पकड़ कर उसे दबाया ... शायद उसे डर लग रहा था ... रोली ने उसे धीरे से गले लगा लिया।
चाँद ढला नही पर सूरज ने उसे छिपा दिया था। रोली ने अपनी आँखे खोली तो ऊपर नीले आसमान पर उसे रात वाला तनहा बेसब्र चाँद दिख गया ... जो अब सूरज की रौशनी से सराबोर था । रोली के होठो पर एक मुस्कान थिरक गई। शायरी के माथे को उसने बेझिझक चूम लिया.
दोस्ती...एक बंधन...एक अहसास...ना कभी टूटने वाला, ना कभी भूलने वाला....सलामत रहे दोस्ताना तुम्हारा!
ReplyDeletewho is dat ur frnd????hmmmmmmmmm
ReplyDeleteJab tv ya newspaper interview liya jayega tab sach bataungi... because really all my creations r somewhere autobiographical.. direct or indirect.
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